Facing the Problem story | जीवन मे कठिनाइयों से सामना करने की कहानी | Motivation


Facing the Problem story | जीवन मे कठिनाइयों से सामना करने की कहानी | Motivaion


दोस्तों जीवन मे कितनी ही कठिन परिस्थिति आये या बर्बाद हो जाओ लेकिन आप हार मत मानो ।

आज के इस ब्लॉग में मैं आपको एक कहानी बताने जा रहा हूँ जिसमे इसी विषय से सम्बंधित सिख मिलेगी ।


दोस्तों एक गांव में बहुत तेज तूफान आया उसी गांव में एक घर में एक परिवार रहता था उस परिवार में तीन चार लोग रहते थे लेकिन जो तूफान था उसने पूरे गांव के साथ साथ उनका घर बार उनके बच्चे सब को उड़ा कर ले गया जैसे तैसे घर के जो मालिक है यानी बच्चों के पिता से बच गए उनको जगह-जगह चोंटे लगी हुई थी जैसे तैसे उस पिता ने अपने शरीर को संभाला इधर-उधर देखने लगे,  उनका घर का कोई सदस्य नजर नहीं आ रहा था लेकिन कुछ देर बाद उन्हें अपना बच्चा एक टेबल के नीचे लेटा हुआ मिला अरुण का बच्चा भी काफी चोटिल था और बेहोश पड़ा था लेकिन किसी तरह पिता ने कोशिश करते हुए उसको बचाया ।


धीरे-धीरे जब गांव में तूफान थमा तब तक कितने हैं घर उजड़ चुके थे कितने ही परिवारों के लोग मर चुके थे जिस घर में एक पिता बचा हुआ था उसकी घर की छत उड़ चुकी थी तूफान में ।
लेकिन फिर उस पिता ने धीरे-धीरे जो जमीन थी उस पर एक टेंट लगाया क्योंकि घर तो उजड़ चुका था और बहुत मेहनत मजदूरी करने लगा उधर उसका बच्चा भी बड़ा हो रहा था तेरे जैसे सब ठीक होने लगा और घर में गाड़ी आ गई घर पक्का हो गया ।
लेकिन फिर से उस गांव में दोबारा बवंडर आने वाला था लेकिन इस बार थोड़ी टेक्नोलॉजी आ जाने से गांव वालों को बवंडर का अंदेशा पहले से हो गया तो इसलिए सभी गांव वालों ने अपना गांव छोड़कर काफी दूर निकल गए वह पिता भी अपने बच्चे को लेकर काफी दूर चला गया ।

जब फिर से गांव में तूफान आया तब फिर उसने वही काम किया जैसे पहले किया था सारे घर उड़ा के ले गया गाड़ी कपड़े छत सब उड़ा के ले गया जो बच्चा छोटा था वह बड़ा हो चुका था उसने अपने पिता से बोला कि पिताजी यह तूफान तो सारे कपड़े गाड़ी उड़ा के ले गया जब मैं छोटा था तब आपने मुझे इस तूफान से कैसे बचाया होगा ।

उस पिता ने अपनी पुरानी यादों को ताजा किया और अपने पुत्र से कहा कि बेटा जब बवंडर उस समय आया था तब हमारा भी घर बार पूरा गांव उड़ चुका था जैसे आज उड़ रहा है 

इस बवंडर में मुझे भी काफी चोटें लगी हुई थी मैं धरती पर अचेत पड़ा था मेरे शरीर से जगह-जगह खून दे रही थी मुझे ऐसा लग रहा था कि मृत्यु मेरे बहुत नजदीक है तब मैंने मान लिया अब मैं नीचे ही पड़ा रहूंगा और अपने आप को अंदर ही अंदर मृत घोषित कर चुका था ।

जैसे-जैस बर्तन कपड़े उड़ गए थे मेरा मन और कठोर होता जा रहा था क्योंकि मैं तूफान से डर नहीं रहा था मैं इसका सामना कर रहा था क्योंकि अगर मुझे कुछ हो भी जाता तो मैंने तो पहले ही मान लेता कि मैं मर चुका हूं।

इसलिए मैंने यही सोचा किसी अपने को बचा लूंगा और अपने को बचा लूंगा चाहे मुझे कुछ भी हो जाए । चाहे वह तूफान मुझे उड़ा ले जाता लेकिन मैं फिर भी डटा रहा और अपनो को तलाशता रहा ।

पिता कुछ देर रुके फिर उन्होंने दोबारा अपने पुत्र से बोलना चालू किया कि मेरे बेटे हर इंसान के जीवन में ऐसा एक समय आता है जब वह टूट जाता है और सब कुछ खत्म हो जाता हैं ।

ज्यादातर लोग उस समय कुछ परेशानियों के बहाव में चले जाते हैं लेकिन उस समय में ही एक परिस्थिति ऐसी आती है जब आपके पास खोने को कुछ नहीं बचता । लेकिन आपके शक्ति बाकी रहती हैं आपके शरीर के अंदर , उर्जा बाकी रहती है । इसलिए उस परिस्थिति में आप ठान लो कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं लडूंगा और अपनी नियति को ठान लो कि कुछ भी हो जाए मुझे हार नहीं मानना है

जबकि आपको लगे की एक ऐसी घड़ी आ गई है कि आप के पास खोने को कुछ नहीं बचा है तब अपने आप की नियति में ठान लो कि अब चाहे कुछ भी हो जाए सामना तो करना हैं

उस समय आपके अंदर एक ऐसी ताकत आ जाएगी कि आपको लगेगा कि अब मैं अपनी नियति बदल सकता हूं बड़ी से बड़ी समस्या या बड़ी से बड़ी कठिनाई भी आप को रोक नहीं पाएगी लेकिन उस समय अपने होश और हवास में रहना जरूरी है ।
तो दोस्तों हमेशा ध्यान रखना क्या चाहे कितनी कठिन परिस्थितियों में हो या चाहे कोई रास्ता ना हो लेकिन अपने मन की बुद्धि को हमेशा खोल कर रखना और होश में रहना।

दोस्तों अगर आपको डर लग रहा है या फिर आप अपनी परिस्थितियों से जूझ रहे या आपके साथ कोई कठिनाई है तो यह सब एक सूत्र से जुड़ा है और यह सूत्र है आपके अपने मन से अपने आपको हार मानना ।
इसलिए अपने अंदर एक डेंसिटी को पैदा करो और अपने आपको एक दिशा दो और अंत तक सामना करो आपको जीत अवश्य मिलेगी।



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